या देवी स्तुयते नित्यं विबुधैर्वेदपरागै: । सा मे वसतु जिह्रारो ब्रह्मरूपा सरस्वती ॥

 या देवी स्तुयते नित्यं विबुधैर्वेदपरागै: । सा मे वसतु जिह्रारो ब्रह्मरूपा सरस्वती ॥

 भावार्थ :

ज्ञान की देवी माँ सरस्वती जिसकी जिव्हा पर सारे श्लोकों का सार है जो बुद्धि की देवी कही जाती है और जो ब्रह्म देव की पत्नी है ऐसी माँ का वास मेरे अन्दर सदैव रहे ऐसी कामना है ।